Tinospora cordifolia

विवरण - नीमवृक्ष पर चढ़ी हुई गुर्च में अनेक गुण हैं। गुर्च का सत शहद के साथ चाटने से ज्वर उतर जाता है । थोड़ी गुर्च पाँच सात काली मिर्च कुछ सेंधा नमक पीसकर थोडे पानी में घोलकर आँच पर धरे, जब फदकने लगे तब उतार छान कुछ गरमा गरम पीवे तो ज्वर शान्त हो, तथा नीम पर की गुचं छः माशा, वंशलोचन एक माशा, इलायची चार रत्ती, मिश्री तोला भर पीस उसको दस दिन खाय तो वादी खूनी बवासीर रोग दूर होता है । 



गिलोय का सत्त [सत ] जीर्णज्वर, राजयक्ष्मा, प्रमेह, वीर्यविकार


दुर्बलता, नपुंसकता, मस्तिष्क दुर्बलता, भ्रमरोग, वातरक्त, हाथ पैरों का दाह आदि की दवा है ।


गिलोय का शर्बत प्रदर, क्षय, पाण्डु, मूत्र कृच्छ्र, खाँसी और सिर पीड़ा दाह, में बहुत लाभकारी होता है। गिलोय का रस २ तोला मिश्री १ तोला मिलाकर पीने से पित्त ज्वर दाह, तृषा और अरुचि दूर होती है । वातरक्त में ६ माशे हरें का चूर्ण खाकर ऊपर से गिलोय का क्वाथ पीने से बहुत लाभ होता है।


प्रमेह रोग में-- गिलोय को रात में पानी में भिगो दें, बाद सुबह मल कर छान लें और तीन माशे हल्दी का चूर्ण मिलाकर पी जाय तो प्रमेह अच्छा हो जाता है ।


गिलोय का सत १ माशा और बड़ी इलायची का चूर्ण १ माशा शहद में चाटने से भी प्रमेह दूर होता है ।


गिलोय का रस और नींबू का रस, दोनों को मिलाकर मुंह पर मल कर बाद में साबुन से धो डाले तो मुख की कान्ति बढ़ती है।


गिलोय का रस १ तोला, शहद ३ माशा, और सेंधा नमक १ भाशा मिलाकर ग्रांख में ग्रांजने से आँख के सभी रोग दूर होते हैं। और आंख की लाली दूर होती है ।


गिलोय का क्वाथ दूध मिलाकर पीने से सुजाक में विशेष फायदा होता है।


गिलोय के क्वाथ से पेशाब में शक्कर जाती है तो बन्द हो जाती है ।


गिलोय का रस या क्वाथ मिश्री मिलाकर पीने से वमन दूर होता है ।


गिलोय और मिश्री चूसने से मुंह का सूखना बन्द होता है। गिलोय के पत्तों का रस कुछ गर्म कर कान में डालने से कर्णस्राव कर्णशूल और कर्णनाद रोग दूर होता है ।


गिलोय का क्वाथ शहद मिलाकर पीने से कवल रोग [पीलिया ] दूर होता है ।