यह गर्म देशों के श्रेष्ठ फलों में गिना जाता है। बिहार में यह सबसे अधिक होता है। असम, गुजरात, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, बंगाल, केरल तथा उत्तर प्रदेश में भी काफ़ी उपजता है । थोड़ा-बहुत अन्य प्रदेशों में भी होता है । विश्लेषण- पानी ८९.६ प्रतिशत, कार्बोहाइड्रेट्स ६.५ प्रतिशत, प्रोटीन ०.५, ईथर एक्सट्रेक्ट ०.१ प्रतिशत, खनिज लवण ०.४ प्रति- शत, कैल्सियम ०.०१ प्रतिशत, फास्फोरस ०.०१ प्रतिशत, खनिज- पदार्थ ०.४ प्रतिशत । अन्य तत्त्व होते हैं—लिक, टारटरिक तथा साइट्रिक एसिड और अन्य कई लवण । इसमें एक बहुमूल्य वस्तु पाई जाती है, जिसका नाम पेपेन है। पेट में पहुँचे प्रोटीन को पचाने में पेपेन अद्भुत तत्त्व है ।
पपीता पेड़ पर ज्यों-ज्यों बढ़ता है, त्यों-त्यों इसके विटामिन बढ़ते जाते हैं । इसमें विटामिन ए' ३००० इंटरनेशनल यूनिट प्रति सौ ग्राम, 'विटामिन सी' १३० मिलीग्राम प्रति सौ ग्राम होता है। पपीते के फल के २५ ग्राम गूदे में १४ कैलोरी प्राप्त होती है ।

पपीते का फल खाते रहनेवाले व्यक्ति को तपेदिक, दमा, आँखों के रोग, स्कर्वी, अनपच, रक्तहीनता [ अनीमिया] आदि रोग नहीं होते । पपीता फल प्रांतों की सफाई करने में अद्वितीय है । यह उनमें पाचक क्षार का प्राकृतिक स्तर बनाये रखता है । यह पाचन-संस्थान के सारे रोगों को दूर करनेवाला फल है, जो फल-का- फल और दवाई की दवाई है । किसी भी बीमारी के मरीज़ को पपीता बेखटके दिया जा सकता है। हर प्रकार के ज्वर में लाभकारी है।

पेप्सीन बनाने की विधि-पेड़ पर लगे कच्चे, बड़े पपीता फल को लकड़ी या हाथीदाँत से चीरा देकर उसमें से निकलनेवाला सफेद दूध किसी बर्तन में [लोहे का न हो। रख लिया जाता है। उसे काँच की प्लेट पर फैलाकर हल्की धूप में सुखा लिया जाता है । वह सूखा रस पेप्सीन कहलाता है । यह अमेरिका श्रादि देशों को निर्यात किया जाता है, जहाँ इसकी अनेक दवाइयाँ बनती हैं और संसार भर में बिकती हैं ।

एग्जीमा का इलाज

पपीता फल का कच्चा दूध एग्जीमा पर कुछ महीने लगाने से एग्जीमा [ चर्म रोग ] साफ़ हो जाता है ।

जूते की रगड़ के छाले का इलाज 
पपीते का सफेद दूध छाले दूर कर देता है ।

बच्चों के जिगर बढ़ने का इलाज

लगातार अनपच से बच्चों की यकृत-वृद्धि हो जाती है। कच्चे पीते की सब्जी [भाजी] बनाकर खिलाने से उनका बढ़ा हुआ जिगर तथा तिल्ली ठीक होते हैं ।

कब्ज का इलाज

बहुत-से रोग कब्ज़ के कारण होते हैं, अतः कब्ज़ कभी मत होने दें। ज्यों ही कब्ज़ हो, एक पूरा पपीता खा लें। खाना मत खायें, बल्कि कुछ शौच होगा । भी [दूध आदि भी ] मत पियें। दूसरे दिन प्रातः खुलकर

दाद, खुजली का इलाज

कच्चे पपीते का ताजा रस [ सफेद दूध ] लगातार लगाते रहने से दादौर खुजली आदि चर्म रोग जड़ से चले जाते हैं।

स्तनों में दूध की कमी का इलाज

शरीर में खून की कमी होने से स्त्रियों के स्तनों में दूध की कमी हो जाती है। यदि डाल का पका पपीता प्रतिदिन और लगा तार २० दिन तक खिलाया जाए और पति स्तनों को प्यार से चूमे, तो स्तनों में लबालब दूध भर आता है ।

पीलिया [Jaundice ] का इलाज

एक बताशा लीजिए, उसपर कच्चे पपीते का रस १० बूंद डालिए । १०-१५ दिन खाने से पीलिया दूर होगा ।

अर्श [ बवासीर = Piles ] के मस्सों का इलाज

जिसे बड़ी भयानक बवासीर हो, मलोत्सर्जन [टट्टी] करते समय भयंकर पीड़ा होती हो, खून आता हो, वह कच्चे पपीता फल का रस मस्सों पर १५ दिन तक लगातार लगाये और प्रतिदिन दोपहर के समय ५०० ग्राम पका पपीता फल खाये । उसके मस्से दूर हो जाएँगे श्रौर बवासीर मिट जाएगी।

मंदाग्नि, अनपच, अजीर्ण, शूल, खट्टे डकार का इलाज

पेड़ का पका १ पपीता [५०० ग्राम से १ किलो तक ] प्रतिदिन खाली पेट खाएँ [ और किसी चीज़ का नाश्ता न करें] । पंद्रह दिन खाने के बाद कष्ट को भूल जाएँगे ।

बढ़े हुए टॉन्सिल्स का इलाज

कच्चे पपीते के रस [ दूध ] को पानी में मिलाकर गरारे और कुल्ले करने से बढ़े हुए टान्सिल ठीक होते हैं ।

फ़ाइलेरिया की सूजन का इलाज

• पपीते की पुल्टिस बाँधने से फाइलेरिया की शोध [ सूजन ] उतर जाती है ।

उच्च रक्तचाप [ High Blood Pressure ] 

सवेरे उठकर पेड़ का पैका आधा पपीता या छोटा एक पपीता खाइए। नाश्ता करना हो तो इसके १ घंटे बाद कीजिए । १ महीने बाद उच्च रक्तचाप का कष्ट बहुत हद तक दूर हो चुका होगा ।

रुके मासिक स्राव का इलाज

कई प्रान्तरिक कारणों से स्त्रियों का मासिक स्राव [Menses] रुक जाता है, या अनियमित हो जाता है। पेड़ के पके पपीते के १ महीना सेवन करने से रुकी माहवारी आ जाती है तथा आगे से नियमित हो जाती है ।

हाथीपांव [फ़ीलपाँत्र ] का इलाज

पपीते के पत्तों को कूटकर उनकी लुगदी बना लें। इसे हाथीपांव [फ़ीलपाँव] पर लगातार बांधते रहें। कई महीने लगेंगे । उतावले न होकर निरन्तर बाँघते रहें। धीरे-धीरे सूजन कम होती जाएगी, फिर भी बाँधते रहें । अवश्य आराम होगा ।

प्लेग का इलाज

पपीते के बीजों को घिसकर तथा उनमें पानी मिलाकर पिलाएँ । प्लेग की गिल्टी पर पपीते के बीज कूटकर पुल्टिस बनाकर बाँध दें। पपीते के बीज का चूर्ण प्राधी श्राधी रत्ती दो-दो घंटे बाद पानी से खिलाते रहें । लाभ होगा ।

सुन्न अंग का इलाज

कई लोगों का हाथ-पैर या कोई अन्य अंग सुन्न हो जाता है [सो जाता है ] | पंपीते के बीजों का चूर्ण तिल तेल में पकाकर, उसकी मालिश करने से कुछ ही दिनों में अंग ठीक हो जाएगा, फिर नहीं होगा ।