संगतरा पेड़ पर पका हो, मीठा हो, तो किसी भी रोग के रोगी को बेखटके दिया जा सकता है । जिस रोगी को कुछ भी खाने की मनाही है, उसे भी संगतरा या संगतरे का रस दिया जा सकता है । संगतरा शीतल, अम्ल-मधुर, बलवर्धक, रक्तवर्धक, विषनाशक और तृष्णा [प्यास]-नाशक है। रक्त-पित्त, प्रतिसार, कृमि [टट्टी में कीड़े आना ], पाण्डु [पीलिया ] आदि रोगों को दूर करता है । पेट के रोगों को दूर करता है। एक छोटा ग्लास संगतरे का ताजा रस पीने से हृदय रोग नहीं होता । हृदय रोग के रोगी को जब चिकित्सा के बाद आराम आ जाए, तब प्रतिदिन दो संगतरे अवश्य सेवन करने चाहियें। खूब मीठा संगतरा आन्त्रिक ज्वर [टायफायड ] के रोगी को भी दिया जा सकता है; परन्तु फाँकों की ऊपर की झिल्ली तार लेनी चाहिए। 

कब्ज [Constipation] का इलाज

दो बड़े, पीले, पके संगतरों का रस प्रातः नाश्ते से भी पहले पियें। एक हफ्ते में पुराने से पुराना कब्ज दूर होगा ।

हिस्टीरिया

दो बड़े संगतरे रोज खाने से हिस्टीरिया दूर होता है । जो स्त्रियाँ दो संगतरे प्रतिदिन खायें या १ छोटा ग्लास संगतरे का ताजा रस प्रतिदिन पियें, उन्हें हिस्टीरिया की बीमारी नहीं होती ।

कई रोगों का एक इलाज

संगतरे और कन्धारी ग्रनार, दोनों का रस मिलाकर एक ग्लास प्रतिदिन पीने से पुरानी खांसी, अनिद्रा, पायरिया, मन्दाग्नि अपच, दुर्बलता, चक्षुरोग, पत्थरी तथा जिगर [ Liver ] की गर्मी दूर होती है ।

गर्भिणी के वमन आदि का उपाय

२५ ग्राम संगतरे का रस शुद्ध शहद में मिलाकर प्रतिदिन ४ बार देने से गर्भिणी की उल्टियाँ रुक जाती हैं, अपच दूर हो जाती है । यदि दस्त आ रहे हों, तो बन्द हो जाते हैं ।

नन्हे बच्चे के दस्त का उपाय

नन्हे बच्चे को बार-बार दस्त ग्रा रहे हों, रुकते न हों, तो संगतरे के रस में पानी मिलाकर उसे माँ के दूध या गाय के दूध में मिलाइए तथा दो से चार चम्मच तक पिलाइए। दो-दो घंटे बाद रात्रि को सोने से पहले तक पिलाती रहे।

दाँत निकलने के कष्ट का उपाय

संगतरे का रस कवोष्ण [मन्द मन्द गर्म] करके दो-दो चम्मच करके पिलाइए । बच्चे की उल्टी, अपच, पेट व छाती की जलन दूर होगी । दाँत निकलने में सुविधा होगी।

कमजोर नजर का इलाज

जिनकी दृष्टिशक्ति बनाई कमजोर हो गई हो, के रस में काली मिर्च तथा जरा-सा नमक डालकर पिलाने से दृष्टि- शक्ति बढ़ती है।

मुहाँसे व झाई का इलाज

संगतरे के छिल्कों को छाया में सुखाकर बारीक पीसकर कपड़ छन कर लीजिए । इसे गुलाब के अर्क में मिलाकर भाई तथा पर मलने से आराम आता है। संगतरा छीलते ही उसका छिलका भाई- मुहाँसे पर मलने से आराम आता है । चेचक के दाग़ भी कम हो जाते हैं।

गुर्दे की पुरानी बीमारी [क्रॉनिक नेफराइटिस ] का इलाज 

पहले दिन- डालकर पिलावें । - 
संगतरे का २५० ग्राम रस जरा-सा सेंधा नमक - 
दूसरे दिन - संगतरे का रस ४०० ग्राम जरा-सा सेंधा नमक
डालकर पिलावे । 
तीसरे दिन - संगतरे का रस ५०० ग्राम जरा-सा सेंधा नमक डालकर पिलावें । इसी तरह प्रतिदिन संगतरे का रस १०० ग्राम और बढ़ाते हुए जायें। तीस दिन तक पिलाने से पुराने से पुराना गुर्दे 1 [Kidney] का रोग [सूजन और दर्द] दूर हो जाएगा ।

विशेष- संगतरे का कल्प करते समय न रोटी, चावल, मांस आदि खायें और न अन्य कोई फल खायें। एक मास के बाद साधारण भोजन खाएँ परन्तु संगतरे का रस एक ग्लास प्रतिदिन पीना जारी रखें । ६ मास में यह रोग जड़-मूल से चला चाएगा।

गर्मी की घबराहट

इसमें संगतरे का शर्बत तुरन्त लाभ पहुंचाता है। प्यास मिट जाती है धौर काफ़ी देर तक नहीं लगती। दिन में दो-तीन बार पिया जा सकता है ।