यह तमिलनाडु, केरल, बम्बई, गोआ आदि में पर्याप्त उपजता है ।
काजू में विटामिन बी' बहुत होता है। प्रोटीन प्रधान खाद्यों में यह सबसे उत्तम है । काजू का तेल हल्के पीले रंग का होता है और शुद्ध घी के बराबर पुष्टिकारक होता है । शीतकाल में काजू की गिरी कच्ची, भुनी हुई, तली हुई तथा तलने के बाद नमक मिर्च लगी हुई खाई जाती है ।
यह अत्यन्त स्वादिष्ट तथा बलवर्धक है ।

काजू का स्वादिष्ट पेय इस प्रकार तैयार किया जा सकता है- काजू के दाने २५ ग्राम लेकर रात को भिगो दें। प्रातः उसे सिल बट्टे पर रगड़ लें। पानी मिलाकर छान लें। इसमें दो दाने छोटी इलायची, ज़रा-सी चीनी और थोड़ा-सा केवड़ा डाल लें । इसका रंग दूध या ठंडाई - जैसा होगा । यह बल-वीर्यवर्धक पेय [Drink] है ।

मस्तिष्क की दुर्बलता [ दिमागी कमजोरी]

जो बालक या वयस्क पढ़ने से या दिमागी काम करने से जल्दी थक जाते हैं या सिर-दर्द लेकर, माथा पकड़कर बैठ जाते हैं, उनके लिए काजू बहुत उपयोगी है।

अवस्था [उम्र] के अनुसार १० ग्राम से २५ ग्राम तक काजू की गिरी प्रातः खाली पेट खा लें। ऊपर से थोड़ा-सा शुद्ध मधु चाट लें । इससे मस्तिष्क की नस-नाड़ियों को शक्ति प्राप्त होगी। सर्दियों में तीन मास तक निरन्तर सेवन करने से दिमाग़ी कमजोरी सर्वथा दूर हो जाएगी ।

शीघ्र स्खलन का इलाज

दुर्बलता को दूर करने के लिए काजू का हलुमा या खीर का सेवन लाभकारी होता है। मैथुन से दो घंटे पूर्व इसका सेवन करें ।

कब्ज दूर करने का उपाय

प्रातःकाल बिना और कुछ खाये १० दाने काजू, ५ दाने मुनक्का खाने से कब्ज दूर होती है ।

काले मस्सों का इलाज

शरीर की त्वचा पर छोटे-छोटे काले मस्से हो गए हों, तो काजू के छिल्कों का तेल लगाइए। मस्से साफ़ हो जाएंगे ।