गिलोय: रोग प्रतिरोधक क्षमता और संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए आयुर्वेदिक अमृत
गिलोय (तिनोस्पोरा कोर्डीफोलिया): रोग प्रतिरोधक क्षमता और स्वास्थ्य के लिए आयुर्वेदिक अमृत
आयुर्वेदिक चिकित्सा की दुनिया में गिलोय — जिसे गुड़ूची या अमृता भी कहा जाता है — को उसकी प्राकृतिक औषधीय शक्तियों के लिए सदियों से सम्मानित किया गया है। वैज्ञानिक रूप से टिनोस्पोरा कोर्डीफोलिया नाम से जानी जाने वाली यह बेलनुमा जड़ी-बूटी शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने, शरीर को डिटॉक्स करने और संपूर्ण स्वास्थ्य को बनाए रखने में अत्यधिक प्रभावी मानी जाती है।
गिलोय क्या है?
गिलोय एक बहुवर्षीय लता है जो भारत में आमतौर पर नीम और आम जैसे पेड़ों पर चढ़ती है। इसके दिल के आकार के पत्ते, पतली टहनियाँ और पीले फूल इसे आसानी से पहचानने योग्य बनाते हैं। आयुर्वेदिक ग्रंथों में इसे रसायन या कायाकल्प करने वाली जड़ी के रूप में वर्णित किया गया है।
पोषण और औषधीय गुण
गिलोय में एल्कलॉइड्स, ग्लाइकोसाइड्स, स्टेरॉयड्स और एंटीऑक्सीडेंट्स जैसे अनेक लाभकारी यौगिक पाए जाते हैं, जो इसे निम्नलिखित गुण प्रदान करते हैं:
- प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने वाला
- बुखार कम करने वाला
- सूजनरोधी
- यकृत की रक्षा करने वाला
- तनाव कम करने वाला (एडाप्टोजेनिक)
गिलोय के 8 प्रमुख स्वास्थ्य लाभ
1. रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है
गिलोय श्वेत रक्त कोशिकाओं को सक्रिय करता है और शरीर की संक्रमण से लड़ने की क्षमता को बढ़ाता है।
2. पुरानी और वायरल बुखार में उपयोगी
डेंगू, मलेरिया और वायरल बुखार जैसी स्थितियों में गिलोय शरीर का तापमान कम करता है और खून को शुद्ध करता है।
3. पाचन को दुरुस्त करता है
यह अपच, गैस, एसिडिटी और बवासीर जैसी समस्याओं में लाभकारी है।
4. तनाव और चिंता को कम करता है
यह मानसिक शांति देता है, स्मरण शक्ति बढ़ाता है और मस्तिष्क को सक्रिय करता है।
5. मधुमेह को नियंत्रित करता है
गिलोय एक प्राकृतिक एंटी-डायबिटिक है जो ब्लड शुगर को संतुलित करता है।
6. श्वसन तंत्र को मजबूत करता है
यह दमा, खांसी और अन्य श्वसन रोगों में लाभकारी है।
7. यकृत को डिटॉक्स करता है
गिलोय पीलिया, फैटी लिवर जैसी यकृत संबंधी समस्याओं में सहायक है।
8. त्वचा को साफ करता है और चमक बढ़ाता है
यह खून को शुद्ध करके मुंहासे, एक्जिमा और चकत्तों में राहत देता है।
गिलोय के सेवन के तरीके
- गिलोय रस: प्रतिदिन खाली पेट 15–30 मिली।
- गिलोय टैबलेट/कैप्सूल: दिन में 1–2 बार डॉक्टर की सलाह अनुसार।
- गिलोय चूर्ण: गर्म पानी या शहद के साथ सेवन करें।
- काढ़ा: गिलोय के टुकड़ों को पानी में उबालकर छानकर पीएं।
सेवन से पहले सावधानियाँ
- ऑटोइम्यून बीमारियों जैसे ल्यूपस में इसका सेवन न करें।
- गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाएं डॉक्टर से परामर्श लें।
- अधिक मात्रा में सेवन करने से कब्ज या शुगर लेवल में गिरावट हो सकती है।
निष्कर्ष
गिलोय केवल एक पारंपरिक औषधि नहीं है, बल्कि यह एक वैज्ञानिक रूप से समर्थित प्राकृतिक उपचार है जो आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करता है, पुरानी बीमारियों को प्रबंधित करता है और समग्र स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है। गिलोय (Tinospora cordifolia) वास्तव में प्रकृति का एक अद्भुत उपहार है।
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